रात के 11:00 बजे थे और रितिका अकेली सुनसान सड़क पर चलती जा रही थी। उसके दोनों तरफ दूर-दूर तक जंगल फैले हुए थे। रितिका बार-बार पीछे भी पलट कर देख थी और फिर चलती जाती।
रितिका - आज इतनी देर हो गई कि मुझे ऑटो तक नहीं मिला। एक तो पूरा दिन, ऑफिस में बॉस ने खराब कर दिया। अलारेडि सर दर्द कर रहा है और अब पैर भी दर्द करने लगे।
कुछ कदम चलने के बाद
रितिका - अरे हां याद आया! राहुल कह रहा था यहां आगे कोई बरगद का पेड़ है वहां से शॉर्टकट है जो सीधा हमारी कॉलोनी के पीछे वाली गली में निकलता है। मैं एक काम करती हूं शॉर्टकट ले लेती हूं जल्दी पहुंच जाऊंगी वरना तो मैं अगली सुबह ही घर पहुंच पाऊंगी।
कुछ आगे जाकर ही रितिका को बहुत ही बड़ा और घना बरगद का पेड़ दिखा और उसे देखकर रितिका खुशी से बोली
रितिका - बस यही से जाना है।