32. Bachchan’s poetic introduction with Sarojini and Nehru-Indira / सरोजिनी नायडू, इंदिरा नेहरू से बच्चन का कविताई परिचय (Madhushala)

The Madhushala Podcast: exploring the soul of Bachchan's poetry

02-11-2023 • 16 mins

In the ⁠previous episode⁠, we spoke about the insults that Bachchan has to endure during his Pioneer Press days and how later in his life, he took a sort of revenge on society for such old insults. In this episode, we speak about an interesting introduction with Sarojini Naidu and the India-Nehru family. (⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠read more here⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠) ⁠पिछले अंक⁠ में बात की थी कि पायोनियर प्रेस में काम करते हुए बच्चन जी को किस तरह कई दफ़ा अपमान सहना पड़ता था और मधुशाला में उसके बारे में वो क्या कहते हैं और समाज और साहित्य की दुनिया से वो अपने पुराने अपमानों का जुर्माना कैसे वसूलते थे। आज के अंक में एक मजेदार किस्सा कि सरोजिनी नायडू के साथ इंदिरा नेहरू से बच्चन परिवार का किस तरह से परिचय हुआ था।

सिर पर बाल घने, घुंघराले - काले, कड़े, बड़े, बिखरे-से,

मस्ती, आजादी, बेफिक्री, बेखबरी के हैं संदेसे ।

माथा उठा हुआ ऊपर को - भौंहों में कुछ टेढ़ापन है,

दुनिया को है एक चुनौती, - कभी नहीं झुकने का प्रण है।

नयनों में छाया-प्रकाश की - आँख-मिचौनी छिड़ी परस्पर,

बेचैनी में, बेसबरी में - लुके-छिपे हैं सपने सुंदर!!

सिर पर बाल कढ़े कंघी से - तरतीबी से, चिकने काले,

जग की रूढ़ि-रीति ने जैसे - मेरे ऊपर फंदे डाले।

भौंहें झुकी हुईं नीचे को, - माथे के ऊपर है रेखा,

अंकित किया जगत ने जैसे - मुझ पर अपनी जय का लेखा।

नयनों के दो द्वार खुले हैं, - समय दे गया ऐसी दीक्षा,

स्वागत सबके लिए यहाँ पर, - नहीं किसी के लिए प्रतीक्षा।

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अपने अंगूरों से तन में हमने भर ली है हाला,

क्या कहते हो, शेख, नरक में हमें तपाएगी ज्वाला,

तब तो मदिरा खूब खिंचेगी और पिएगा भी कोई,

हमें नरक की ज्वाला में भी दीख पड़ेगी मधुशाला (७५)

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Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠)

I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments.

Thanks for listening :-)

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Credits:

1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan

2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak.

3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar

3. Various YouTube Videos and information from Internet


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