कहाँ उड़ चले हैं मन प्राण मेरे...

Ek Geet Sau Afsane

13-02-2024 • 16 mins

परिकल्पना : सजीव सारथी

आलेख : सुजॉय चटर्जी

प्रस्तुति : संज्ञा टंडन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1961 की फ़िल्म ’भाभी की चूड़ियाँ’ का गीत "कहाँ उड़ चले हैं मन प्राण मेरे"। आशा भोसले और मुकेश की आवाज़ें, पंडित नरेन्द्र शर्मा के बोल, और सुधीर फड़के का संगीत। फ़िल्म की कहानी के प्रवाह में क्या है इस गीत की भूमिका? इस गीत के सन्दर्भ में यह फ़िल्म अपनी मूल मराठी फ़िल्म से किस प्रकार भिन्न है? पंडित नरेन्द्र शर्मा और सुधीर फड़के के कौन से आयाम इस गीत में झलक पाते हैं? ये सब, आज के इस अंक में।