इस पार भी तू-उस पार भी तू

DHADKANE MERI SUN

20-01-2023 • 18 mins

कमबख्त कैसा आशिक था

दिल और मुल्क की सरहदों को एक समझ बैठा

ये भी नहीं जान पाया कि दो मुल्कों की सरहदें ज़ज्बात-ए-मोहब्बत नहीं समझती...

समझे भी आखिर क्यों

क्यूँ कि सरहद का मतलब ही बंटवारा होता है,,,,

...मगर सरहदें चाहे कितनी हों,कैसी भी हों......

..........

..कतरा - कतरा बहती रहती हो तुम

हर वक्त - हर लम्हा मेरी नब्ज मे

नब्ज रुक भी गयी कभी - तो क्या फर्क पड़ेगा

मेरे साथ ही तो जायेगी तुम्हारी मोहब्बत

मेरी रूह का हमसफ़र बनकर

इसलिए सरहदे हैं तो क्या हुआ

हम---मौहब्बत छोड़ नही सकते

हदें भी तोड़ नही सकते

क्यों कि---

इनके--- इस पार भी तू

----------उस पार भी तू

दोनो तरफ ---बस तू ही तू---तू ही तू---बस तू ही तू