विरोधी देश में शरण पाये एक सैनिक पिता के, युद्ध के समय, अपने वतन के प्रति कर्तव्य और अपने शरण देने वाले देश के प्रति वफ़ादार रहने के उहापोह की कहानी जिसमें दुश्मन सेना की तरफ़ से उसका बेटा लड़ रहा है।
The story of the father of a soldier, who took refuge in an opposing country during war, duty to his homeland and loyalty to his country of refuge, in which his son is fighting with the enemy army.