“कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आयेगी”

Ek Geet Sau Afsane

22-11-2022 • 12 mins

शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी

वाचन स्वर : प्रज्ञा मिश्रा

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1961 की फ़िल्म ’हमारी याद आयेगी’ का शीर्षक गीत "कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आयेगी"। मुबारक बेगम की आवाज़, किदार शर्मा के बोल और स्नेहल भाटकर का संगीत। लता मंगेशकर के लिए बना यह गीत मुबारक बेगम से क्यों गवाया गया? रेकॉर्डिंग पर पहुँच कर मुबारक बेगम ने किदार शर्मा को कोने में ले जाकर क्या कहा कि किदार शर्मा की आँखों में आँसू आ गये? इस गीत के लिए मुबारक बेगम को उचित मेहनताना क्यों नहीं मिल पाया? मुबारक बेगम, उनका यह गीत और कल्याणजीभाई - इन तीनों का बद-दुआ से क्या सम्बन्ध है? गीत के संगीतकार स्नेहल भाटकर और फ़िल्म की नायिका तनुजा का आपस में कैसा फ़िल्मी सम्बन्ध रहा है? ये सब आज के इस अंक में।