"हम चुप हैं कि दिल सुन रहे हैं"

Ek Geet Sau Afsane

22-03-2022 • 12 mins

आलेख : सुजॉय चटर्जी

स्वर :  नीलम यादव

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1985 की सुप्रसिद्ध फ़िल्म ’फ़ासले’ का गीत "हम चुप हैं के दिल सुन रहे हैं"। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज़ें; गीतकार शहरयार, और संगीतकार शिव-हरि। ’गमन’ और ’उमराव जान’ जैसी इन्टेन्स फ़िल्मों में लिखने के बाद ’फ़ासले’ फ़िल्म के गाने लिखने के लिए कैसे तैयार हुए शहरयार साहब? इसके बाद यश चोपड़ा द्वारा अगली तीन फ़िल्मों में गीत लिखने के offer को क्यों ठुकरा दिया शहरयार ने? इस गीत के साथ कैसी यादें जुड़ी हैं अभिनेता रोहन कपूर की? उस साल अन्य किन फ़िल्मों के गीतों ने ज़बरदस्त टक्कर दिया और वाषिक गीतमाला में कैसा प्रदर्शन रहा इस गीत का? ये सब, आज के अंक में।