द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु थे। राजा द्रुपद ने द्रोणाचार्य का अपमान किया था और बचपन की मित्रता को एक ही पल में भुला दिया था। द्रोणाचार्य ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाने को कहा। पांडवों ने राजा द्रुपद को बंदी बना लिया।
महाभारत के युद्ध में राजा द्रुपद के बेटे धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। इस तरह धृष्टद्युम्न ने अपने पिता के अपमान का बदला ले लिया।