" श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, है नाथ नारायण वासुदेवा। " इस महामंत्र का जप अत्यंत पुण्यदायी है। यह मन्त्र श्री कृष्ण जी का महामंत्र है जिसके द्वारा कृष्ण का आशीर्वाद सुगमता से प्राप्त होता है। इस मन्त्र का अर्थ है की है प्रभु आप सभी को आकर्षित करने वाले हैं। आप मुझे भी भक्ति की तरफ आकर्षित कीजिए। आप गोविन्द हैं और आप ही मुरारी हैं। श्री कृष्ण गायों के रखवाले हैं, कृष्ण को गोविन्द नाम इंद्र भगवान ने पवित्र जल के छिड़काव के उपरांत प्रदान किया है। श्री कृष्ण स्वंय से भी अधिक ध्यान गाय का रखते थे। मुरारी से आशय है की श्री कृष्ण जी ने मुरा नाम के राक्षश का वध किया था।