क्या आपको ज्ञात है कि कौरव ही थे हस्तिनापुर के असली उत्तरधिकारी? आइए समझते हैं उत्तराधिकार के प्रसंग को प्रामाणिक ग्रंथों के आधार से। और इसी मे छुपा है धर्म-अधर्म का वास्तविक ज्ञान। आज का अध्याय मूलतः आधारित है महाभारत के आदि पर्व और उद्योग पर्व पर और नीलकंठ और भंडारकर दोनों से ही पूरी तरह मेल खाता है।
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