Naitik Kahaniya Moral Stories for kids Hindi

Swapnil Saurav

Naitik Kahaniya Moral Stories for kids Hindi We bring new stories everyweek for kids. Enjoy listening to the stories read less
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बड़ो का कहा मानो - डॉ अमृता शुक्ला
09-03-2022
बड़ो का कहा मानो - डॉ अमृता शुक्ला
दूसरी कहानी :  बड़ो का कहा मानो महाराष्ट्र से लगे इस छोटे शहर मै रीति रिवाज,त्योहार ,बोल-चाल में मराठी संस्कृति का बड़ा प्रभाव दिखता था।पुराने बड़े से घर की कुछ दूरी पर में दादा जी के चार-पांच खेत थे जिनमें अधिया से चावल उगाया जाता था।जब पोला त्योहार आता तो बैल को सजा कर घर में लाते और दादी उसकी पूजा करतीं।इसी तरह जन्माष्टमी पर्व पर सब लोग अपने घरों में मिट्टी के कृष्ण भगवान रखते और दूसरे दिन शाम को सामने के तालाब में सिराने जाते थे। उस दिन घर  के सामने मंदिर और तालाब के आसपास बड़ा मैदान में मेला लग जाता ।फुग्गे ,खिलौने बेचने वाले आते।घर के दरवाजे से सब बैठकर इसका आनंद लेते।मुन्ना पापा से खिलौना खरीदने कहने लगा तो
Result ka chakkar by Dr Amrita Shukla
07-03-2022
Result ka chakkar by Dr Amrita Shukla
राजू,अपना रिजल्ट तो दिखाओ,_जैसे ही राजू ने घर में कदम रखा उसकी  बडी बहन मीरा ने कहा । राजू पढने में बहुत अच्छा था।उसके पेपर भी अच्छे हुए थे।यह बात मीरा दीदी जानती थी फिर भी रिजल्ट देख कर तसल्ली करना चाहती थी। राजू को भी अपने परिणाम पर विश्वास था इसलिए उसने भी दीदी को दे दिया ।माँ कुछ खाने दो न बडी जोर से भूख लगी है कहते हुए किचन में चला गया। माँ जानती थी कि सुबह रिजल्ट लेने की जल्दी में राजू बिना नाश्ता किए स्कूल चला गया था।।अभी राजू ने निवाला मुंह में डाला ही था कि दीदी की आवाज़ आई। आवाज़ की तल्खी से वो समझ गया कि कुछ तो गडबड है। नाश्ता छोड़ कर दौड़ कर दी के पास आया -क्या बात है दी।" "तू तो कह रहा है कि तू फर्स्ट आया है इसमें तो फेल लिखा है।"
परी और टूटू by विजयानंद विजय
06-03-2022
परी और टूटू by विजयानंद विजय
परी मछली और टूटू कछुआ में बहुत ही अच्छी दोस्ती थी।वे चंपकवन के बगल से होकर बहने वाली चंदन नदी में रहते थे।चंदन नदी का पानी बहुत ही साफ और स्वच्छ था।दूर तक फैले तट और किनारे की चट्टानों से टकराती हुई चंदन नदी अपनी मंद - मंद गति से बहती जाती थी।चंपकवन के सभी जीव - जंतु चंदन नदी का ही पानी पीने आते थे - शेर राजा, हंपू हाथी, सोनी हिरण, चंपू बंदर आदि सभी।गर्मियों में तो हंपू हाथी का अधिकांश समय नदी में ही बीतता था।और चंपू बंदर तो पेड़ों पर चढ़ जाता था और ऊपर से ही नदी में छलांग लगाता था - " छपाक ", और किनारे खड़े जानवर जोर - जोर से तालियाँ बजाने लगते थे।उन्हें खूब मजा आता था।