आज का सत्संग बहुत सुंदर रहा,रजनी जी के माध्यम से हमने अध्याय 18 गीता सारांश का सार जाना,बहुत आनंद आया🍄सन्यास क्या है_जब हम अपने कर्म बिना फल की इच्छा के करते हैं,घर बाहर छोड़ कर जाना सन्यास नही है बल्कि अपनी ड्यूटी करते हुए जब हम हरिनाम करते हैं तो हमारे अंदर बैठे भगवान खुश होते है🍄तो बिना फल की इच्छा से कम करने से हमारा जीवन त्याग बन जायेगा,तो हमें चीजों से मोह नहीं रखना,बस ऐसे कर्म नहीं करने जिससे हमारे अपने दुखिभो जाएं🍄हमें यज्ञ,दान और तपस्या का कभी त्याग नहीं करना,चाहे हम कितने भी ज्ञानी बन जाएं,हमें सत्संग,सेवा,साधना करते हुए अपनी ड्यूटी निभानी है🍄हमें अपने आप को करता नही मानना और नित्य निरंतर चलते रहना है,हमेशा प्रभु का शुक्रिया करते रहना है,और यही भाव रखना है की मैं तो निमित मात्र हूं 🍄हमें तामसिक, राजसिक को छोड़ कर सात्विक ज्ञानी बनना है और किसी से भेद भाव न करते हुए सब में प्रभु के दर्शन करने हैं और अपने आस पास सभी से अच्छी बातें शेयर करते रहना है,डिस्ट्रक्टिव तो डिवोशन करते रहना है_हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 🙏🙏प्रतिमा जी और सोनम जी ने बहुत प्यारी लर्निंग शेयर की, वैदेही जी ने बहुत सुंदर भजन शेयर किया,सभी का आभार🙏🙏 हरि हरि बोल🙏🙏 श्रीमद् भगवद्गीता की जय🙏🙏 To watch this video click on the link below :
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