“ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू...."

Ek Geet Sau Afsane

10-08-2022 • 13 mins

शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी

वाचन व प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2018 की चर्चित फ़िल्म ’राज़ी’ का गीत "ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू"। सुनिधि चौहान और अरिजीत सिंह की मुख्य आवाज़ें, गुलज़ार और अल्लामा इक़बाल के बोल, और शंकर-अहसान-लॉय का संगीत। कैसे लिखा गया यह गीत? क्यों यह गीत किसी भी पक्षपात से परे है? गुलज़ार ने क्यों इक़बाल के बोलों को अपने गीत में जगह दी? किस तरह से रचा गया इस गीत का संगीत? कौन कौन हैं इस गीत के कोरस गायकों में शामिल? इस गीत के लिए शंकर-अहसान-लॉय ने कौन सी विपरीत दिशा पकड़ने की बात कही है? ये सब आज के इस अंक में।