“एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने...."

Ek Geet Sau Afsane

26-07-2022 • 13 mins

आलेख : सुजॉय चटर्जी

वाचन : दीपिका भाटिया

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1977 की चर्चित फ़िल्म ’किनारा’ का गीत "एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने"। भूपेन्द्र और हेमा मालिनी की आवाज़ें, गुलज़ार के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत। इस गीत की रेकॉर्डिंग पर हेमा मालिनी के साथ गाते हुए भूपेन्द्र को कैसी दिक्कत हो रही थी? गीत बनने के बाद जब यह थोड़ा डल लग रहा था तो भूपेन्द्र ने ऐसा कौन सा जादू चलाया कि गीत खिल उठा? इस गीत के निर्माण के समय गीत के बोलों पर गुलज़ार और पंचम के बीच किस तरह की बहसें हुआ करती थीं? इस गीत के बाद पंचम ने गुलज़ार का नाम "चाबियाँ" क्यों रख दी थीं? इस गीत के साथ धर्मेन्द्र किस नाटकीय अंदाज़ से जुड़े? ये सब आज के इस अंक में।