“तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा...."

Ek Geet Sau Afsane

02-08-2022 • 11 mins

आलेख : सुजॉय चटर्जी

वाचन : प्रज्ञा मिश्रा

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2008 की चर्चित फ़िल्म ’युवराज’ का गीत "तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा"। अलका यागनिक और जावेद अली की आवाज़ें, गुलज़ार के बोल, और ए. आर. रहमान का संगीत। कहाँ से आयी इस गीत की धुन? क्यों फ़िल्म पूरी होने के बाद इस गीत को बनाने का फ़ैसला लिया गया? कैसे बना फिर यह गीत? जावेद अली की आवाज़ इस गीत में ज़रा अलग हट के क्यों सुनाई देती है? क्या हुआ था ऑल इण्डिया रेडियो की उर्दू सर्विस की स्टुडियो में इस गीत को बजाते हुए? ये सब आज के इस अंक में।