“देखने में भोला है दिल का सलोना...."

Ek Geet Sau Afsane

20-09-2022 • 14 mins

शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी

स्वर : वाय.पद्मामणि

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1960 की चर्चित फ़िल्म ’बम्बई का बाबू’ का गीत "देखने में भोला है दिल का सलोना"। आशा भोसले और साथियों की आवाज़ें, मजरूह सुल्तानपुरी के बोल, और सचिन देव बर्मन का संगीत। क्यों विवादित है इस गीत की धुन? क्या इतिहास है इस गीत के धुन की? क्यों इस धुन से जुड़ा मामला अदालत तक पहुँचा था? क्यों इस गीत में नायिका अपने नायक को "चिन्नन्ना", यानी छोटा भाई कहती हैं? ये सब आज के इस अंक में।