“ये कहाँ आ गए हम यूंही साथ-साथ चलते...."

Ek Geet Sau Afsane

17-05-2022 • 14 mins

आलेख : सुजॉय चटर्जी

स्वर :  सुशील पी

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1981 की मशहूर फ़िल्म ’सिलसिला’ का गीत "ये कहाँ आ गए हम यूंही साथ-साथ चलते"। लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन की आवाज़ें, जावेद अख़्तर के बोल, और शिव-हरि का संगीत। जानिए इस गीत के बनने की दिलचस्प कहानी स्वयम पंडित शिव कुमार शर्मा के शब्दों में। जावेद अख़तर ने शुरू में फ़िल्म में गीत लिखने से यश चोपड़ा को क्यों मना कर दिया था? और फिर मुंह में ख़ून लगने की बात क्यों की? फ़िल्म ’सिलसिला’ के बनने के अगले साल इसी गीत के जैसा कौन सा गीत बना और इस गीत के साथ उसका क्या रिश्ता था? जानिए ये सब, आज के अंक में।