हमने अभी तक जनमेजय और उससे जुड़े सभी पहलुओं को जाना परन्तु नागों के द्वारा नागयज्ञ को रोकने के क्या प्रयास किए गए और उन्होंने इस यज्ञ में व्यवधान उत्पन्न करने के लिए कैसे प्रयोजन बनाए इस विषय पर जिज्ञासा होना बहुत ही आम है। अपनी माता से शाप पाकर नागों को अपनी नियति का भान बहुत पहले ही हो चुका था परन्तु नियति को अपने कर्मों के प्रभाव से मार्ग बदलने पर कैसे विवश किया जा सकता है इसकी चर्चा हम आज के अंक में करेंगे।
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