भाई दूज | Bhai Dooj Story

इतिहास पुराण की कथाएं Itihas Puran Ki Kathaye

27-10-2022 • 6 mins

एक बार की बात है, एक गाँव में एक माँ अपने बेटे के साथ रहा करती थी। एक बार भाई दूज के दिन बेटे ने अपनी माँ से बहन के घर जाकर उससे टीका लगवाने की बात कही। माँ ने कहा, “ठीक है। चले जाओ।“ भाई अपने घर से अपनी बहन से मिलने के लिए निकल पड़ा। रास्ते में उसे नदी मिली। नदी ने उससे कहा, “मैं तुम्हें डुबाऊँगी।“ भाई ने नदी से कहा, “आज भाई दूज के दिन मैं अपनी बहन से तिलक कराने जा रहा हूँ। वो मेरी बाट जोह रही होगी। तुम अभी मुझे जाने दो। जब मैं टीका करवाकर वापस इधर से जाऊंगा तब तुम मुझे डुबा देना।“ नदी ने उसकी बात मान ली और उसे जाने दिया।  थोड़ी देर और आगे जाने पर उसको एक सांप मिला। सांप ने अपना फन उठाते हुए बोला, “मैं तुम्हें डसूँगा।“ भाई ने सांप से भी वही बात कही जो उसने नदी से कही थी, “आज भाई दूज के दिन मैं अपनी बहन से तिलक कराने जा रहा हूँ। वो मेरी बाट जोह रही होगी। तुम अभी मुझे जाने दो। जब मैं टीका करवाकर वापस इधर से जाऊंगा तब तुम मुझे डस लेना।“ अपनी बहन के घर के रास्ते पर वह थोड़ा और आगे बढ़ा और एक घने जंगल से गुजर रहा था कि दहाड़ते हुए एक शेर ने उसका रास्ता रोक लिया और उससे कहा, “वहीं रुक जाओ। तुम्हारा अंत समय आ गया है। आज मैं तुम्हें खाऊँगा।“ उसने शेर से भी बहन के घर जाकर टीका लगवाने की बात कही और बोला, “जब मैं अपनी बहन के घर से टीका लगवाकर वापस आऊँ तब तुम मुझे खा लेना।“ शेर ने भी उसे जाने दिया।  ऐसे अपनी जान शेर, सांप और नदी के पास गिरवी रखकर किसी तरह वह अभी बहन के घर पहुँचा। उसने बहन के घर के दरवाजे से उसे आवाज लगाई।