The Madhushala Podcast: exploring the soul of Bachchan's poetry

Arisudan Yadav

Bachchan’s Madhushala is no less than an ocean. The further you delve, deeper it becomes. The Madhushala Podcast is our own “Manthan” (churning) of the timeless poetry by Dr. Harivansh Rai Bachchan. As we explore the essence and soul of Madhushala, we tell interesting stories and talk about poet's life and inspirations. We will talk about the philosophy and relevance of Madhushala and other poems. There is an echo of India’s history and society from a century ago. Join me in this journey if you love Hindi / Urdu poems. Find me on Instagram @_ibnbatuta, or, http://www.arisudan.com read less
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41. Women in Bachchan's life - 'Shyama' / मधुशाला में कहानी 'श्यामा' की (Madhushala)
22-11-2024
41. Women in Bachchan's life - 'Shyama' / मधुशाला में कहानी 'श्यामा' की (Madhushala)
In the previous episode, we started a discussion on women in the life of Dr Harivansh Rai Bachchan and how they influenced his life and poetry. We started with ‘Champa’, who he called ‘Dryad of the Trees’. In this episode, we are talking about Bachchan’s lesser known first wife ‘Shyama’. पिछले अंक से हमने शुरुआत की थी एक चर्चा की – बच्चन बाबू के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण स्त्रियों पर। सबसे पहले बात की थी चम्पा की, जो उनके बचपन के मित्र कर्कल की पत्नी थी और उन्होंने बच्चन बाबू को किस तरह प्रभावित किया। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, आज बात करते हैं श्यामा की। Poems in this episode: धुँधली-सी आवाज बुलाती ऊपर से, पर पंख कहाँ है, (याद कीजिए वृक्ष परी) छलना-सी धरती है मुझको और मुझे अंबर छलिया-सा। तन के सौ सुख, सौ सुविधा में मेरा मन बनवास दिया-सा। उसके उस सरलपने से मैंने था हृदय सजाया, नित नए मधुर गीतों से उसका उर था उकसाया। उस कल्पनाओं की कल कल्प-लता को था मैंने अपनाया; बहु नवल भावनाओं का उसमें पराग था पाया। मंद हास-सा उसके मृदु अधरों पर जो था मँडराया; औ’ उसकी सुखद सुरभि से - प्रति ‘निशि’ समीप खिंच आया मनाकर बहुत एक लट मैं तुम्हारी - लपेटे हुए पोर पर तर्जनी के पड़ा हूँ, बहुत ख़ुश, कि इन भाँवरों में - मिले फ़ॉर्मूले मुझे ज़िंदगी के, भँवर में पड़ा-सा हृदय घूमता है, - बदन पर लहर पर लहर चल रही है। न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ, - मगर यामिनी बीच में ढल रही है। उठा करता था मन में प्रश्न - कि जाने क्या होगा उस पार निवारण करने में सन्देह - मज़हबी पोथे थे बेकार चले तुम, पूछा, हैं! किस ओर? - कहा बस तुमने एक ज़बान तुम्हें थी जिसकी खोज तलाश - उसी का करने अनुसंधान श्‍यामा रानी थी पड़ी रोग की शय्या पर - दो सौ सोलह दिन कठिन कष्‍ट में थे बीते, संघर्ष मौत से बचने और बचाने का - था छिड़ा हुआ, या हम जीतें या वह जीते। एक समय संतुष्ट बहुत था पा मैं थोड़ी-सी हाला, भोला-सा था मेरा साकी, छोटा-सा मेरा प्याला, छोटे-से इस जग की मेरे स्वर्ग बलाएँ लेता था, विस्तृत जग में, हाय, गई खो मेरी नन्ही मधुशाला!।१०८। -------------------- Thanks for listening :-) Do write a review and send your comments. My other Hindi poetry podcast: Jal Tarang: https://open.spotify.com/show/45OWiFomkPFOMNWhjmKld3 Kitaab Ghar: https://open.spotify.com/show/3sTh2uvc4Ze9rS2ta8xdQp ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. 'Madhushala' written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 4. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Literature #Shyama
40. Women in Bachchan's life - 'Champa' / मधुशाला में कहानी 'चम्पा' की (Madhushala)
28-08-2024
40. Women in Bachchan's life - 'Champa' / मधुशाला में कहानी 'चम्पा' की (Madhushala)
In the previous episode, we spoke about “Shanti path” in Madhushala, shared a beautiful piece from Rahi Masoom Raza's book Topi Shukla, some things about one carefree Hindi poet Pandey Bechan Sharma ‘Ugra’, and a story about the English poet Shelly and Keats. With this episode, we are starting a series about the women in Bachchan’s life and how they influenced the life and poetry of our Kaviraj. पिछले अंक में कुछ किस्से सुनाए थे मधुशाला के शान्ति पाठ के, एक किस्सा राही मासूम रज़ा की कहानी टोपी शुक्ला से, कुछ बातें हिंदी के अक्खड़ कवि उग्र जी के बारे में, और एक कहानी अंग्रेज़ी कवि शैली और कीट्स की। आज से बात शुरू करते हैं बच्चन बाबू के जीवन में आने वाली स्त्रियों की और किस तरह उन्होंने हमारे कविराज के जीवन और उनकी कविताओं को प्रभावित किया। Bachchan's poems in this episode: जिसकी कंचन की काया थी - जिसमें सब सुख की छाया थी, उसे मिला देना पड़ता है - पल-भर में मिट्टी के कण में! निर्ममता भी है जीवन में! मत देख, नज़र लग जा‌एगी - यह चिड़ियों के सुखधाम, सखे! - है यह पतझड़ की शाम सखे। नीलम से पल्लव टूट गए, मरकत-से साथी छूट गए - अटके फिर भी दो पीत पात जीवन-डाली को थाम सखे! है यह पतझड़ की शाम सखे। उठ पड़ा तूफान, देखो, मैं नहीं हैरान, देखो, एक झंझावात भीषण मैं हृदय में से चुका हूँ। मूल्य अब मैं दे चुका हूँ। नहीं खोजने जाता मरहम - होकर अपने प्रति अति निर्मम उर के घावों को आँसू के खारे जल से नहलाता हूँ। ऐसे मैं मन बहलाता हूँ। यदि इन अधरों से दो बातें प्रेम भरी करती हाला, यदि इन खाली हाथों का जी पल भर बहलाता प्याला, हानि बता, जग, तेरी क्या है, व्यर्थ मुझे बदनाम न कर, मेरे टूटे दिल का है बस एक खिलौना मधुशाला।।७७। Dinkar's Urvashi: और त्रिया जो अबल, मात्र आंसू, केवल करुणा है, वही बैठ सम्पूर्ण सृष्टि के महा मूल निस्तल में छिगुनी पर धारे समुद्र को - ऊंचा किए हुए है Raskhan's savaiya: सेष, गनेस, महेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं। जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुबेद बतावैं। नारद से सुक ब्‍यास रहैं पचि हारे तऊ पुनि पार न पावैं। ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं -------------------- Thanks for listening :-) Do write a review and send your comments. My other Hindi poetry podcast: Jal Tarang: https://open.spotify.com/show/45OWiFomkPFOMNWhjmKld3 Kitaab Ghar: https://open.spotify.com/show/3sTh2uvc4Ze9rS2ta8xdQp ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. 'Madhushala' written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 4. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Literature #Champa
39. Bachchan’s Madhushala: Keats, Shelley - living on own terms / मधुशाला का शान्ति पाठ
31-07-2024
39. Bachchan’s Madhushala: Keats, Shelley - living on own terms / मधुशाला का शान्ति पाठ
In the previous episode, we spoke about stages of life after youth, especially the final mile. There was one story about the death of Dr Bachchan’s first wife “Shyama”. In this episode, we are talking about Pandey Bechan Sharma ‘Ugra’, and English poets John Keats and PB Shelley. पिछले अंक में बात की थी जीवन में यौवन से आगे की अवस्थाओं पर, अंतिम पड़ाव पर, और एक बात बच्चन बाबू की पहली पत्नी श्यामा की मृत्यु के बाद के दिनों से। आज उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हैं, बात एक फक्कड़ कवि की, अंग्रेज़ी कवि जॉन कीट्स और शैली की, और शुरुआत करते हैं एक किस्से से. Previous episode: https://open.spotify.com/episode/5xnMpsQZhEH3BipEjDoW6D और चिता पर जाये उंढेला पात्र न घ्रित का, पर प्याला - घंट बंधे अंगूर लता में मध्य न जल हो, पर हाला, प्राण प्रिये यदि श्राद्ध करो तुम मेरा तो ऐसे करना - पीने वालों को बुलवा कर खुलवा देना मधुशाला ।।८४। मेरे शव पर वह रोये, हो जिसके आंसू में हाला - आह भरे वो, जो हो सुरभित मदिरा पी कर मतवाला, दे मुझको वो कांधा जिनके पग मद डगमग होते हों - और जलूं उस ठौर जहां पर कभी रही हो मधुशाला ।।८३। यम ले चलता है मुझको तो, चलने दे लेकर हाला - चलने दे साकी को मेरे साथ लिए कर में प्याला, स्वर्ग, नरक या जहाँ कहीं भी तेरा जी हो लेकर चल - ठौर सभी हैं एक तरह के साथ रहे यदि मधुशाला ।।८७। -------------------- Thanks for listening :-) Do write a review and send your comments. My other Hindi poetry podcast: Jal Tarang: https://open.spotify.com/show/45OWiFomkPFOMNWhjmKld3 Kitaab Ghar: https://open.spotify.com/show/3sTh2uvc4Ze9rS2ta8xdQp ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 4. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Literature #JohnKeats #PercyShelley #PandeyBechanSharmaUgra
38. Bachchan's Madhushala: Poetry in death and life / राम नाम नहीं, कहना सच्ची मधुशाला
27-06-2024
38. Bachchan's Madhushala: Poetry in death and life / राम नाम नहीं, कहना सच्ची मधुशाला
Welcome to The Madhushala Podcast (मधुशाला मंथन), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry. In this, we explore the soul and essence of Hindi poetry, poet's life-stories, philosophy and a bit of India's history. In the previous episode, we talked about the stages of life in Madhushala, especially the significance of youth, with a reference from Shivaji Savant’s famous book ‘Mrityunjay’. In today’s episode, we move on from youth towards the sunset of life and a story from the passing away of Bachchan’s first wife – Shyama. पिछले अंक में बात की थी जीवन की अवस्थाओं पर, विशेषकर मानव जीवन में यौवन के महत्व की, यौवन या तारुण्य क्या होता है, उसका रंग रूप क्या होता है, और सुनाई थी यौवन के भाव की कुछ कविताएं। आज बात करते हैं जीवन में यौवन से आगे की अवस्थाओं पर, अंतिम पड़ाव पर, और एक बात उनकी पहली पत्नी श्यामा की मृत्यु के बाद के दिनों से। मेरे अधरों पर हो अंतिम वस्तु न तुलसी-दल,प्याला, मेरी जीव्हा पर हो अंतिम वस्तु न गंगाजल, हाला, मेरे शव के पीछे चलने वालों, याद इसे रखना - राम नाम है सत्य न कहना, कहना सच्ची मधुशाला ।।८२। नाम अगर कोई पूछे तो, कहना बस पीनेवाला - काम ढालना, और ढलाना सबको मदिरा का प्याला, जाति प्रिये, पूछे यदि कोई कह देना दीवानों की - धर्म बताना प्यालों की ले माला जपना मधुशाला ।।८५। मृत्यु शय्या पर पड़े अति रुग्ण की अन्तिम हँसी-सी यत्न करके खिल रही है - एक लघु कलिका निराली! -------------------- My other Hindi poetry podcast: Jal Tarang: https://open.spotify.com/show/45OWiFomkPFOMNWhjmKld3 Kitaab Ghar: https://open.spotify.com/show/3sTh2uvc4Ze9rS2ta8xdQp ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 4. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Literature #JohnKeats #PercyShelley
37. Bachchan's Madhushala: Abhi to Main Jawaan Hun / मधुशाला में यौवन की बातें
13-04-2024
37. Bachchan's Madhushala: Abhi to Main Jawaan Hun / मधुशाला में यौवन की बातें
Welcome to The Madhushala Podcast (मधुशाला मंथन), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry. In this, we explore the soul and essence of Hindi poetry, poet's life-stories, philosophy and a bit of India's history. In the ⁠previous episode⁠, we told you about a road accident of Bachchan family and how Madhushala came to her poet’s rescue. Today, we talk about the stages of life, especially the significance of youth, with a reference from Shivaji Savant’s famous book ‘Mrityunjay’ and Robert Browning's Rabbi Ben Ezra. पिछले अंक में बात की थी बच्चन परिवार के साथ घटी एक सड़क दुर्घटना की और किस तरह उनकी मधुशाला ने उन्हें एक मुसीबत से बचाया था। आज बात करते हैं जीवन की अवस्थाओं पर, विशेषकर - मानव जीवन में यौवन के महत्व की, यौवन के रंगों की, और यौवन के बीत जाने की। ढलक रही हो तन के घट से, संगिनि, जब जीवन-हाला; पात्र गरल का ले जब अंतिम साकी हो आनेवाला, हाथ परस भूले प्याले का, स्वाद-सुरा जीव्हा भूले; कानों में तुम कहती रहना, मधुकण, प्याला,मधुशाला ।।८१। गिरती जाती है दिन प्रतिदन प्रणयनी प्राणों की हाला; भग्न हुआ जाता दिन प्रतिदन सुभगे मेरा तन प्याला, रूठ रहा है मुझसे रूपसी, दिन दिन यौवन का साकी; सूख रही है दिन दिन सुन्दरी, मेरी जीवन मधुशाला ।।७९। वो काली काली बदलियाँ, उफ़ुक़ पे हो गईं अयाँ वो इक हुजूम-ए-मय-कशाँ, है सू-ए-मय-कदा रवाँ ये क्या गुमाँ है बद-गुमाँ, समझ न मुझ को ना-तवाँ ख़याल-ए-ज़ोहद अभी कहाँ, अभी तो मैं जवान हूँ -------------------- Thanks for listening :-) Do write a review and send your comments. My other Hindi poetry podcast: "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ (https://spoti.fi/2Rvdich) " ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://podcasts.apple.com/us/podcast/madhushala-and-bachchan-hindi-stories-poetry-history/id1527589155?uo=4 ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 4. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #RobertBrowning #RabbiBenEzra
36. Bachchan's Madhushala: When the poem rescued her poet / मधुशाला ने अपने कवि को बचाया
14-03-2024
36. Bachchan's Madhushala: When the poem rescued her poet / मधुशाला ने अपने कवि को बचाया
In the previous episode, we had talked about the importance of dissatisfaction in life and told why Bachchan had to leave his well-organized life and go for military training, and some poems related to the same. Today let us tell you an incident about the Bachchan couple's road accident and how his poetry saved them. पिछले अंक में बात की थी जीवन में असंतोष के महत्व की और बताया था कि बच्चन बाबू को अपना सुव्यवस्थित जीवन छोड़ कर फ़ौजी ट्रैनिंग के लिए क्यों जाना पड़ा, और उसी से जुड़ी कुछ कविताएं। आज सुनाते हैं एक किस्सा बच्चन दंपति की सड़क दुर्घटना का और कैसे उनकी कविता ने उन्हें बचा लिया। आज की कहानी का आरंभ मधुशाला की इस कविता के साथ करते हैं जिसने शायद इस घटना को घटित होने से पहले ही देख लिया था – यम आएगा लेने जब, तब खूब चलूँगा पी हाला, पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा मतवाला, क्रूर, कठोर, कुटिल, कुविचारी, अन्यायी यमराजों के डंडों की जब मार पड़ेगी, आड़ करेगी मधुशाला ।।७६। -------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. Contact me for a live session on Madhushala and Hindi poetry. I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ (https://spoti.fi/2Rvdich) " on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://podcasts.apple.com/us/podcast/madhushala-and-bachchan-hindi-stories-poetry-history/id1527589155?uo=4 ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Military #Fascination
35. Bachchan's Madhushala: Fascination of what’s difficult / अंतिम साकी, अंतिम मधुशाला
08-02-2024
35. Bachchan's Madhushala: Fascination of what’s difficult / अंतिम साकी, अंतिम मधुशाला
In the ⁠⁠previous episode⁠⁠, we had talked about the fragility of life, a small discussion on the ornaments of poetry called “Alankar”, and told why Bachchan's family members used to hide certain things from him. Today’s episode talks about the inherent dissatisfaction of man and why our poet had to undergo military training at one time. (⁠⁠⁠Read more here⁠⁠⁠). पिछले अंक में हमने जीवन की क्षण-भंगुरता पर बात की थी, एक छोटी सी चर्चा कविता के आभूषण अलंकारों पर, और बताया था कि बच्चन बाबू के परिवार जन कुछ बातें उनसे छुपा क्यों जाते थे। आज के अंक में बात मनुष्य के अंतर्निहित असंतोष की और हमारे कविराज को एक समय मिलिट्री ट्रैनिंग क्यों करनी पड़ी। यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला, पी न होश में फिर आएगा सुरा-विसुध यह मतवाला, यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है, पथिक, प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला ।।८०। The fascination of what's difficult (WB Yeats)Has dried the sap out of my veins, and rent. Spontaneous joy and natural content. Out of my heart. There's something ails our coltThat must, as if it had not holy blood. Nor on Olympus leaped from cloud to cloud, Shiver under the lash, strain, sweat and jolt.As though it dragged road metal. My curse on plays, That have to be set up in fifty ways, On the day's war with every knave and dolt, Theatre business, management of men. I swear before the dawn comes round again, I'll find the stable and pull out the bolt. -------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. Contact me for a live session on Madhushala and Hindi poetry. I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ (https://spoti.fi/2Rvdich) " on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://podcasts.apple.com/us/podcast/madhushala-and-bachchan-hindi-stories-poetry-history/id1527589155?uo=4 ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.instagram.com/_ibnbatuta/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.facebook.com/arisudan ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.linkedin.com/in/arisudan/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://www.youtube.com/playlist?list=PLJRWgt8jlb28bhOlggocCq_JBhfyawg5u ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠: https://in.pinterest.com/madhushalapodcast/_created/ ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Military #Fascination
34. Bachchan's Madhushala: Fragility of life / काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है मधुशाला
06-02-2024
34. Bachchan's Madhushala: Fragility of life / काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है मधुशाला
In the ⁠previous episode⁠, we spoke about the comic side of Dr Harivansh Rai Bachchan and some of the lighter shades in the poet’s life, especially the ones from his university days. Let’s talk about the volatility of life in today’s episode and a discussion on Alankars (⁠Read more here⁠). Also a reference to Yuval Noah Harari's Homo Deus and a documentary Aftermath: Population Zero. ⁠पिछले अंक⁠ में बात की थी बच्चन बाबू के अपने एक कॉमिक से परिचय की और कुछ हल्की-फुलकी बातें उनके इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लेक्चरर वाले दिनों की। आज एक चर्चा जीवन की क्षण भंगुरता पर, और कुछ बातें कविता के आभूषण अलंकारों पर। क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिटटी का प्याला, भरी हुई है जिसके अंदर कटु-मधु जीवन की हाला, मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शत-शत कर फैला, काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला (७३) And प्याले सा गढ़ हमें किसी ने भर दी जीवन की हाला, नशा न भाया, ढाला हमने ले लेकर मधु का प्याला, जब जीवन का दर्द उभरता उसे दबाते प्याले से, जगती के पहले, साकी से, जूझ रही है मधुशाला (७४) -------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. Contact me for a live session on Madhushala and Hindi poetry. I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History
33. Bachchan's Madhushala: Poet's comic introduction / मैं हूँ बच्चन जी मस्ताना, गाता मस्ती का गाना
18-01-2024
33. Bachchan's Madhushala: Poet's comic introduction / मैं हूँ बच्चन जी मस्ताना, गाता मस्ती का गाना
In the previous episode, we spoke about Bachchan’s meeting with Sarojini Naidu and introduction with Nehru – Indira family. There was also a poetic introduction of Mr Bachchan. In this episode, a comic intro of the poet and little more bit from his life experiences (Read more here) पिछले अंक में बात की थी कि कैसे कवियों का परिचय भी कविता जैसा ही होता है, एक किस्सा सुनाया था भारत कोकिला सरोजिनी नायडू से मुलाकात का और बच्चन परिवार के नेहरू परिवार से शुरुआती परिचय का, और एक कविता जीवन संघर्षों पर। आज के अंक में बात करते हैं बच्चन बाबू के एक कॉमिक परिचय की, और कुछ हल्की-फुल्की कविताई बातें बच्चन जी के जीवन अनुभवों से। मैं हूं बच्चन जी मस्ताना, लिखता हूँ मस्ती का गाना, मैंने खोली है मधुशाला, जिसमें रहती है मधुबाला, जिसके हाथों में घट-प्याला, मुझको निशा-निमन्त्रण आया, मैंने गीत अकेले गाया, ('एकान्त संगीत') सुनकर सबका दिल घबराया, ('आकुल अंतर') मुझ पर क्या रंगीनी छाई, मैंने सतरंगिनी सजाई मैंने प्रणय-पत्रिका भेजी, पढ़कर बहुत खुश हुईं तेजी, डिग्री लाया हूँ केम्ब्रिजी, मुझको कहो डॉक्टर ए जी। लेकिन नब्ज नहीं दिखलाना - मैं हूँ बच्चन जी मस्ताना... -------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. Contact me for a live session on Madhushala and Hindi poetry. I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Nehru #IndiraGandhi #SarojiniNaidu
28. Shakespeare’s Character is Destiny in Madhushala | मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला
09-12-2023
28. Shakespeare’s Character is Destiny in Madhushala | मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला
In the ⁠⁠⁠⁠⁠previous episode⁠⁠⁠⁠⁠, we spoke about poet’s unquenched thirst and about his work as a special officer of Hindi at the Ministry of External Affairs (Videsh Mantralaya). In this episode, a poem about why people worry much. (⁠⁠⁠read more here⁠⁠⁠) ⁠⁠⁠पिछले अंक⁠⁠⁠ पिछले अंक में हमने बात की थी कवि की अधूरी प्यास की, मधुशाला के प्यास बुझाने से ज़्यादा प्यास बढ़ाने की, और एक किस्सा सुनाया था बच्चन बाबू के विदेश मंत्रालय के दिनों से कि किस तरह भारत की स्वतंत्रता के बाद कुछ अंग्रेज़ी शब्दों का हिंदीकरण किया गया था। इस अंक में बात करते हैं कि लोग चिंता क्यों करते हैं और शुरुआत करते हैं मधुशाला की इस कविता से -   क्या पीना, निर्द्वन्द न जब तक ढाला प्यालों पर प्याला, क्या जीना, निरंचित न जब तक साथ रहे साकीबाला, खोने का भय, हाय, लगा है पाने के सुख के पीछे, मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला (६७) और - लिखी भाग्य में जितनी बस उतनी ही पाएगा हाला, लिखा भाग्य में जैसा बस वैसा ही पाएगा प्याला, लाख पटक तू हाथ पाँव, पर इससे कब कुछ होने का, लिखी भाग्य में जो तेरे बस वही मिलेगी मधुशाला (७०) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Shakespeare
32. Bachchan’s poetic introduction with Sarojini and Nehru-Indira / सरोजिनी नायडू, इंदिरा नेहरू से बच्चन का कविताई परिचय (Madhushala)
02-11-2023
32. Bachchan’s poetic introduction with Sarojini and Nehru-Indira / सरोजिनी नायडू, इंदिरा नेहरू से बच्चन का कविताई परिचय (Madhushala)
In the ⁠previous episode⁠, we spoke about the insults that Bachchan has to endure during his Pioneer Press days and how later in his life, he took a sort of revenge on society for such old insults. In this episode, we speak about an interesting introduction with Sarojini Naidu and the India-Nehru family. (⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠read more here⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠) ⁠पिछले अंक⁠ में बात की थी कि पायोनियर प्रेस में काम करते हुए बच्चन जी को किस तरह कई दफ़ा अपमान सहना पड़ता था और मधुशाला में उसके बारे में वो क्या कहते हैं और समाज और साहित्य की दुनिया से वो अपने पुराने अपमानों का जुर्माना कैसे वसूलते थे। आज के अंक में एक मजेदार किस्सा कि सरोजिनी नायडू के साथ इंदिरा नेहरू से बच्चन परिवार का किस तरह से परिचय हुआ था। सिर पर बाल घने, घुंघराले - काले, कड़े, बड़े, बिखरे-से, मस्ती, आजादी, बेफिक्री, बेखबरी के हैं संदेसे । माथा उठा हुआ ऊपर को - भौंहों में कुछ टेढ़ापन है, दुनिया को है एक चुनौती, - कभी नहीं झुकने का प्रण है। नयनों में छाया-प्रकाश की - आँख-मिचौनी छिड़ी परस्पर, बेचैनी में, बेसबरी में - लुके-छिपे हैं सपने सुंदर!! सिर पर बाल कढ़े कंघी से - तरतीबी से, चिकने काले, जग की रूढ़ि-रीति ने जैसे - मेरे ऊपर फंदे डाले। भौंहें झुकी हुईं नीचे को, - माथे के ऊपर है रेखा, अंकित किया जगत ने जैसे - मुझ पर अपनी जय का लेखा। नयनों के दो द्वार खुले हैं, - समय दे गया ऐसी दीक्षा, स्वागत सबके लिए यहाँ पर, - नहीं किसी के लिए प्रतीक्षा। ------------- अपने अंगूरों से तन में हमने भर ली है हाला, क्या कहते हो, शेख, नरक में हमें तपाएगी ज्वाला, तब तो मदिरा खूब खिंचेगी और पिएगा भी कोई, हमें नरक की ज्वाला में भी दीख पड़ेगी मधुशाला (७५) -------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Nehru #IndiraGandhi #SarojiniNaidu
31. After Life’s hard knocks, I found Madhushala / दुनिया भर की ठोकर खाकर पाई मैंने मधुशाला
28-09-2023
31. After Life’s hard knocks, I found Madhushala / दुनिया भर की ठोकर खाकर पाई मैंने मधुशाला
In the previous episode, we spoke the games fate or ‘Niyati’ plays, and a story about Bachchan’s first independent and important decision in life when he was barely a teenager. We also read two poems by Maithilisharan Gupt and Ramdhari Singh ‘Dinkar’. (⁠⁠⁠⁠⁠⁠read more here⁠⁠⁠⁠⁠⁠) पिछले अंक में बात की थी बालक हरबंस राय के जीवन के पहले महत्वपूर्ण और स्वतंत्र निर्णय के बारे में, और चर्चा की थी भाग्य या नियति के पुरुषार्थ से संघर्ष के बारे में। इसी विषय में श्री मैथिलीशरण गुप्त और श्री रामधारी सिंह दिनकर की दो कविताएं भी सुनाई थी। आज के अंक में बात करते हैं जब पायोनियर प्रेस में काम करते हुए बच्चन जी को कई दफ़ा अपमान सहना पड़ता था। दुख से जीवन बीता फिर भी - शेष अभी कुछ रहता, जीवन की अंतिम घड़ियों में - भी तुमसे यह कहता सुख की सांस पर होता - है अमरत्व निछावर, तुम छू दो, मेरा प्राण अमर हो जाए! तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए! मेरे वर्ण-वर्ण विश्रंखल - चरण-चरण भरमाए, गूंज-गूंज कर मिटने वाले - मैनें गीत बनाये; कूक हो गई हूक गगन की - कोकिल के कंठो पर, तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए! तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए! ------------- ध्यान मान का, अपमानों का छोड़ दिया जब पी हाला, गौरव भूला, आया कर में जब से मिट्टी का प्याला, साकी की अंदाज़ भरी झिड़की में क्या अपमान धरा, दुनिया भर की ठोकर खाकर पाई मैंने मधुशाला (७२) -------------------- कर ले, कर ले कंजूसी तू मुझको देने में हाला, दे ले, दे ले तू मुझको बस यह टूटा फूटा प्याला, मैं तो सब्र इसी पर करता, तू पीछे पछताएगी, जब न रहूँगा मैं, तब मेरी याद करेगी मधुशाला (७१) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Pioneer #Insults
30. Bachchan’s first important decision and destiny / भाग्य प्रबल, मानव निर्बल का पाठ पढ़ाती मधुशाला
08-09-2023
30. Bachchan’s first important decision and destiny / भाग्य प्रबल, मानव निर्बल का पाठ पढ़ाती मधुशाला
In the ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠previous episode⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠, we spoke about a story from Bachchan’s childhood and what his father’s family Guru had predicted about Bachchan’s future. There was also a Nazm by Nazeer Akbarabadi – “Sab thath pada rah javega, jab laad chalega Banjara”, on the games fate plays. In today’s episode, some more discussion on fate and Niyati, about the first important decision Bachchan made about his life, and some lines from Dinkar's Rashmirathi and Maithili Sharan Gupt. (⁠⁠⁠⁠⁠read more here⁠⁠⁠⁠⁠) ⁠⁠⁠⁠⁠पिछले अंक⁠⁠⁠⁠⁠ में बात की थी के बालक हरबंस राय के बारे में उनके परिवार के गुरु जी ने क्या भविष्यवाणी की थी, और भाग्य एवं नियति के खेल पर नज़ीर अकबराबादी की एक नज़्म भी सुनाई थी। आज के अंक में भाग्य पर कुछ और बात करते हैं और बताते हैं बालक हरबंस राय के जीवन के पहले महत्वपूर्ण और स्वतंत्र निर्णय के बारे में। उसी संदर्भ में मधुशाला की ये चतुष्पदी सुनते हैं - मदिरालय में कब से बैठा, पी न सका अब तक हाला, यत्न सहित भरता हूँ, कोई किंतु उलट देता प्याला, मानव-बल के आगे निर्बल भाग्य, सुना विद्यालय में, 'भाग्य प्रबल, मानव निर्बल' का पाठ पढ़ाती मधुशाला (९७) and - साकी, मर खपकर यदि कोई, आगे कर पाया प्याला, पी पाया केवल दो बूंदों, से न अधिक तेरी हाला, जीवन भर का, हाय, परिश्रम लूट लिया दो बूंदों ने, भोले मानव को ठगने के, हेतु बनी है मधुशाला (१०२) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Dinkar
29. Madhushala on Luck, Destiny, Hitler / सब ठाठ पड़ा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा
11-08-2023
29. Madhushala on Luck, Destiny, Hitler / सब ठाठ पड़ा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा
In the ⁠⁠⁠⁠⁠⁠previous episode⁠⁠⁠⁠⁠⁠, we spoke about why people worry much about life and destiny. We also discussed Shakespeare’s “character is destiny” and the initial days of Amitabh Bachchan practicing his hands on acting. In this episode, we discuss some more about the role luck and destiny play in one’s life. (⁠⁠⁠⁠read more here⁠⁠⁠⁠) ⁠⁠⁠⁠पिछले अंक⁠⁠⁠⁠ में हमने मधुशाला के संदर्भ में बात की थी कि लोग चिंता क्यों करते हैं, प्यास बुझा कर भी बुझाने का आनंद क्यों नहीं आता और एक बात भाग्य के खेल और शेक्सपियर की, ये भी बताया था के अमिताभ बच्चन ने अभिनय /acting में अपने हाथ कहाँ आजमाए थे। अब मधुशाला में कई सारी रुबाइयों में चर्चा होती है भाग्य और नियति के खेल पर, भाग्य और पौरुष के द्वन्द्व पर, तो चलिए उन्हीं में से दो कविताओं पर आज चर्चा करते हैं। बड़े बड़े परिवार मिटें यों, एक न हो रोनेवाला, हो जाएँ सुनसान महल वे, जहाँ थिरकतीं सुरबाला, राज्य उलट जाएँ, भूपों की भाग्य सुलक्ष्मी सो जाए, जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी मधुशाला (२१) and - धन दौलत नाती पोता क्या इक कुम्बा काम न आवेगा सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा and - किस्मत में था खाली खप्पर, खोज रहा था मैं प्याला, ढूँढ़ रहा था मैं मृगनयनी, किस्मत में थी मृगछाला, किसने अपना भाग्य समझने में मुझ सा धोखा खाया, किस्मत में था अवघट मरघट, ढूँढ़ रहा था मधुशाला (९८) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Kavivar Bachchan ke Saath, and Guruvar Bachchan se Door - Ajitkumar 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History
27. Madhushala: To quench poet’s oceanic thirst | प्यास बुझाने को बुलवाकर प्यास बढ़ाती मधुशाला
30-06-2023
27. Madhushala: To quench poet’s oceanic thirst | प्यास बुझाने को बुलवाकर प्यास बढ़ाती मधुशाला
In the ⁠⁠⁠⁠previous episode⁠⁠⁠⁠, we spoke about the mannerism and the beauty of language in Lucknow and why ‘Saaki’ got bored of the poet. There was also a story of Bachchan’s encounter with illness. In this episode, we speak about poet’s unquenched thirst and a little about Bachchan’s work as a special office of Hindi at the Ministry of External Affairs. (⁠⁠read more here⁠⁠) ⁠⁠पिछले अंक⁠⁠ हमने बात की थी लखनऊ के नाज़ अदा अंदाज़ की, एक गुलफ़रोश यानि फूल बेचने वाली की और साकी आखिर पीने वालों से बोर क्यों हो गई? ऊब क्यों गई? और एक बात बताई थी कि बच्चन बाबू ने ये क्यों कहा – “बन्द लगी होने खुलते ही मेरी जीवन मधुशाला”। आज के अंक में बात करते हैं कुछ अधूरी प्यास की बात, कुछ प्यास बढ़ाने, कुछ प्यास बुझाने की बात और एक बात भारत की स्वतंत्रता के बाद अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदीकरण की।   मुझे पिलाने को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला! मुझे दिखाने को लाए हो एक यही छिछला प्याला! इतनी पी जीने से अच्छा सागर की ले प्यास मरुँ, सिंधु-तृषा दी किसने रचकर बिंदु-बराबर मधुशाला (६८) और - क्या कहता है, रह न गई अब तेरे भाजन में हाला, क्या कहता है, अब न चलेगी मादक प्यालों की माला, थोड़ी पीकर प्यास बढ़ी तो शेष नहीं कुछ पीने को, प्यास बुझाने को बुलवाकर प्यास बढ़ाती मधुशाला (६९) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History
26. Madhushala: Lucknow and her poetic mannerism | बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन-मधुशाला
14-06-2023
26. Madhushala: Lucknow and her poetic mannerism | बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन-मधुशाला
In the ⁠⁠⁠previous episode⁠⁠⁠, we spoke about what Bachchan used to say about the men-women relationship and discussed a controversy often attached to a line by Goswami Tulsidas (⁠read more here⁠) ⁠पिछले अंक⁠ में हमने बात की थी कि बच्चन बाबू स्त्री-पुरुष संबंधों के बारे में क्या कहते थे और चर्चा की थी गोस्वामी तुलसीदास जी की एक पंक्ति पर, जिसका सहारा लेकर अक्सर विवाद खड़ा किया जाता है – “ढोल, गँवार, शूद्र, पशु, नारी – सकल ताड़ना के अधिकारी”। आज के अंक में सुनते हैं एक किस्सा लखनऊ से। और मधुशाला की ये रुबाइयाँ -   दो दिन ही मधु मुझे पिलाकर ऊब उठी साकीबाला; भरकर अब खिसका देती है वह मेरे आगे प्याला, नाज़, अदा, अंदाजों से अब, हाय पिलाना दूर हुआ; अब तो कर देती है केवल, फ़र्ज़ अदाई मधुशाला (६५) और - छोटे-से जीवन में कितना प्यार करुँ, पी लूँ हाला; आने के ही साथ जगत में कहलाया 'जानेवाला', स्वागत के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी; बंद लगी होने खुलते ही मेरी जीवन-मधुशाला (६६) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠⁠you can join us here⁠⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠⁠Apple⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠Instagram⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠Facebook⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠Linkedin⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠YouTube⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠Pinterest⁠⁠⁠ | ⁠⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Lucknow
Bonus Episode - Work from Himalayas - Poetic Travels in the Hills (पहाड़ों की कविता यात्रा)
13-05-2023
Bonus Episode - Work from Himalayas - Poetic Travels in the Hills (पहाड़ों की कविता यात्रा)
WFH could well be Work from Himalayas, or Working remotely from Hills! That’s what we did before COVID wave surged again. In this episode, we travel to a small village called Jibhi, in Himachal. We talk about the experience of working remotely, and life in the hills with some short poems inspired by these pristine hills, waterfalls, simple living people. You can read the full script with meanings of some words on my blog: https://bit.ly/3p756Mc Watch the YouTube video of this episode with visuals: https://www.youtube.com/watch?v=fkQe6u44pfE Some poems include: तू हिमाला! ए फसीले किशवरे हिंदोस्तान, चूमता है तेरी पेशानी को झुककर आसमा Or:  राग रस रंग हैं पहाड़ों में, ज़िंदगी आसां नहीं पहाड़ों में Or:  किस गठरी की गांठें खोलूं, क्या बांधूं मैं क्या छोडूं रे किस किस को मैं अपना समझूं, क्या पकडूं क्या जाने दूं रे ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (you can join us here) I host one more podcast "Dhai Aakhar" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. If you want to join us for an online chit-chat on poetry, please join our Meetup group. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) Apple | Instagram | Facebook | Linkedin | YouTube | Pinterest | http://www.arisudan.com Credits: 1. Original poems by Arisudan Yadav 2. Other poems written by Dr Harivansh Rai Bachchan, Sumitranandan Pant, Allama Iqbal
25. Madhushala: Men-Women relations and Tulsidas’s Ramcharitmanas | ढोल, गँवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी
31-03-2023
25. Madhushala: Men-Women relations and Tulsidas’s Ramcharitmanas | ढोल, गँवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी
In the ⁠⁠previous episod⁠⁠⁠⁠e⁠⁠, we told a story from the Cambridge University days and how Bachchan was often mistaken for being younger, and of romance in Madhushala. In this episode, we talk about romance, of beauty and an analysis of Tulsidas’s line from Ramcharitmanas- “Dhol Ganwar Shudra Pashu Naari”. (read more here)   पिछले अंक में हमने बात की थी यौवन की और एक किस्सा सुनाया था कैंब्रिज विश्वविद्यालय का। आज करते हैं कुछ बातें प्रणय की, रोमांस की, सौन्दर्य रस की, और तुलसीदास की एक चौपाई की, "ढोल, गँवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी", और इन्हीं भावों से जुड़ी मधुशाला की ये कविता -   सुमुखी तुम्हारा, सुन्दर मुख ही, मुझको कन्चन का प्याला, छलक रही है जिसमें माणिक रूप मधुर मादक हाला, मैं ही साकी बनता, मैं ही पीने वाला बनता हूँ, जहाँ कहीं मिल बैठे हम तुम़, वहीं गयी हो मधुशाला (६४) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠⁠you can join us here⁠⁠) I host one more podcast "⁠⁠Dhai Aakhar⁠⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠⁠Apple⁠⁠ | ⁠⁠Instagram⁠⁠ | ⁠⁠Facebook⁠⁠ | ⁠⁠Linkedin⁠⁠ | ⁠⁠YouTube⁠⁠ | ⁠⁠Pinterest⁠⁠ | ⁠⁠http://www.arisudan.com⁠⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Tulsidas #Ramayan #Ramcharitmanas
24. Madhushala: Youth of Cambridge University | खुले प्रणय की मधुशाला
21-03-2023
24. Madhushala: Youth of Cambridge University | खुले प्रणय की मधुशाला
In the ⁠previous episod⁠⁠e⁠, we spoke about the extreme criticism faced by Madhushala and how Bachchan was threatened to be shot in Patna once. There was another story of the friendship of Sumitranandan Pant and Bachchan. Today, a story from Cambridge University and how Bachchan was often mistaken for being younger, and some discussion on the men-women relationships. Read the ⁠f⁠⁠ull script of the episode here⁠. ⁠पिछले अंक⁠ हमने बात की थी कि कैसे मधुशाला को कई बार कटु आलोचना का सामना करना पड़ता था, यहाँ तक कि एक बार तो बच्चन बाबू को गोली मारने की ही धमकी मिल गई थी! और एक कहानी सुनाई थी कवि सुमित्रानंदन पंत जी की ज़ुल्फ़ों की। आज हम चलते हैं कैंब्रिज विश्वविद्यालय की ओर, और बताते हैं कैसे कई बार बच्चन बाबू को कम आयु का विद्यार्थी समझ लिया जाता था! पहले मधुशाला की ये चतुष्पदी - आज सजीव बना लो, प्रेयसी, अपने अधरों का प्याला, भर लो, भर लो, भर लो इसमें, यौवन मधुरस की हाला, और लगा मेरे होठों से भूल हटाना तुम जाओ, अथक बनू मैं पीनेवाला, खुले प्रणय की मधुशाला (६३) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (⁠you can join us here⁠) I host one more podcast "⁠Dhai Aakhar⁠" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) ⁠Apple⁠ | ⁠Instagram⁠ | ⁠Facebook⁠ | ⁠Linkedin⁠ | ⁠YouTube⁠ | ⁠Pinterest⁠ | ⁠http://www.arisudan.com⁠ Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Weekend #SumitranandanPant #Communism #Equality
23. Madhushala: Benipuri’s Yogi and Sumitranandan Pant | उल्लास-चपल, उन्माद-तरल, प्रति पल पागल – मेरा परिचय
01-03-2023
23. Madhushala: Benipuri’s Yogi and Sumitranandan Pant | उल्लास-चपल, उन्माद-तरल, प्रति पल पागल – मेरा परिचय
In the previous episode, we spoke about the social boycott of Bachchan family for attending a wedding, alongside a poem from Madhushala on the topic. Today, a story of Madhushala’s extreme criticism and Bachchan’s poetic reaction to that, and a story of Bachchan-Pant friendship and of their hairstyle. You can read the full script of the episode here. पिछले अंक में हमने बात की थी कि क्यों एक शादी में सम्मिलित होने पर बच्चन परिवार का उनके रिश्तेदारों द्वारा बहिष्कार कर दिया गया था और इसी विषय  पर सुनाई थी मधुशाला की एक कविता। आज बताते हैं एक किस्सा मधुशाला की तीक्ष्ण आलोचना का और एक कहानी श्री हरिवंश राय बच्चन और श्री सुमित्रानंदन पंत जी की ज़ुल्फ़ों की और उनकी मित्रता की। रे वक्र भ्रुओं वाले योगी! दिखला मत मुझको वह मरुथल, मैं जिस जड़ मरु में पहुंचूंगी - कर दूँगी उसको जीवन मय,  उल्लास-चपल, उन्माद-तरल,  प्रति पल पागल – मेरा परिचय! and - कल? कल पर विश्वास किया कब करता है पीनेवाला, हो सकते कल कर जड़ जिनसे फिर फिर आज उठा प्याला, आज हाथ में था, वह खोया, कल का कौन भरोसा है, कल की हो न मुझे मधुशाला काल कुटिल की मधुशाला (६१) ----------------------- Welcome to Madhushala Podcast (मधुशाला), based on Harivansh Rai Bachchan's epic poetry, written in 1935 and part of the trilogy of Madhubala and Madhukalash. This is a podcast of Hindi Poetry, Poets, their Stories and a bit of History of India. We do a Live Madhushala discussion every Sunday on Mentza app (you can join us here) I host one more podcast "Dhai Aakhar" on Hindi poetry of Hope, Life and Optimism. Do write a review and send your comments. Thanks for listening :-) Apple | Instagram | Facebook | Linkedin | YouTube | Pinterest | http://www.arisudan.com Credits: 1. Madhushala poetry book written by Dr Harivansh Rai Bachchan 2. Autobiographies of Dr Harivansh Rai Bachchan – Kya Bhulun Kya Yaad Karun, Need Ka Nirman Phir, Basere se Door, Dashdwar se Sopan Tak. 3. Various YouTube Videos and information from Internet Keywords: #Bachchan #Madhushala #Philosophy #Hindi #Poetry #Stories #History #Weekend #SumitranandanPant #Communism #Equality